प्रयागराज। आस्था के महाकुंभ में करोड़ो श्रध्दालुओं को यहां की आध्यात्मिकता और भव्यता को देखकर देश के युवाओं को सनातन धर्म के गर्व का अहसास हुआ। हिन्दू धर्म ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक पहचान को लेकर उनकी संकोच दूर हो गई हैं, त्रिवेणी संगम में 25 वर्ष से 50 वर्ष के लोग सबसे ज्यादा स्नान किए। मु्ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ को सांस्कृतिक दूत बनकर उन्होंने आयोजन को पुरे विश्व में पहुंचाया।
प्रयागराज के संगम में 45 दिन तक चले महाकुंभ को सफल बनाने में देश के युवाओं का भी रिकॉर्ड जबरदस्त रहा हैं। महाकुंभ ने डिजिटल युग में जी रहे युवाओं को सनातन धर्म और परंपरा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। महाकुंभ के 45 दिनों में 66.30 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई जिसमें से करीब आधे से ज्यादा श्रध्दालु 25 वर्ष या इससे कम उम्र के थे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सनातन धर्म, वेद-पुराण और गीता से जुड़े विषयों की खोज 300 गुना तक बढ़ गई। साफ है कि नई पीढ़ी सनातन धर्म के संस्कृति और अध्यात्म की ओर आकर्षित हुई है।
स्वतंत्रता के बाद से हुए सभी कुंभ धर्मपरायण अधेड़ और वृद्ध श्रद्धालुओं के समागम.
महाकुंभ के विशाल आयोजन का असर विश्व में बहुत प्रभाव पड़ा है। देश की स्वतंत्रता के बाद से हुए सभी कुंभ धर्मपरायण अधेड़ और वृद्ध श्रद्धालुओं के समागम का केंद्र रहे हैं। कहावत का मतलब ही था कि ‘कुंभ नहा लिए’ अपनी पूरी जिम्मेदारियों को निभा चुके लोग ही कुंभ स्नान के लिए जाते थे।

महाकुंभ 2025 सभी कुंभों से अलग रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के डिजिटल महाकुंभ ने विश्व एक नया इतिहास रचा हैं। AI आधारित महाकुंभ सहायक ऐप और गूगल नेविगेशन से युवाओं को जोड़ने में सफलता मिली। तकनीक और संस्कृति के संगम में युवाओं ने श्रद्धा की डुबकी लगाने नये रिकॉर्ड बनाए।
महाकुंभ ने ये सिध्द कर दिया कि युवा सनातन धर्म और आधुनिक राष्ट्रवाद के बीच संतुलन बनाते हुए प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें लाखों-करोड़ों की जनसंख्या में डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक, अध्यापक, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, पत्रकार, खिलाड़ी, अभिनेता, उद्यमी, ट्रेडर और कॉलेज की छात्र-छात्राएं शामिल रहे।
दुनिया भर में गई त्रिवेणी संगम की अमृत आस्था.
महाकुंभ में रामकथा, भागवत कथा और प्रवचनों को सुनने तथा जानने के लिए देश के युवाओं की बहुसंख्यक भीड़ उमड़ी। सत्संग और कीर्तन में करोड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। यह बात साफ है कि आधुनिक पीढ़ी अपने परंपरा की
ओर लौट रही है। दुनिया भर से आये श्रद्धालु महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद अपने घर पर लौटते समय संगम की मिट्टी और संगम का जल अपने साथ ले गए।